उन्होंने कहा था कि इसे अपवाद के रूप में देखा जाना चाहिए जो ऐसा न हो कि नियमों को ही ख़त्म कर दे.
2.
माना कि जिम् मेदारी जनता की भी है, मगर इन व् यवस् थाओं में सुधार की गुंजाइश किस तरह पैदा की जाए जो ऐसा न हो, बिना योग् यता वंशवाद पनपता रहे।
3.
जो ऐसा न हो, वह इलाह यानी पूजनीय नहीं हो सकता और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम नफ़ा नुक़सान के अपनी ज़ात से मालिक न थे, अल्लाह तआला के मालिक करने से मालिक हुए, तो उनकी निस्बत अल्लाह होने का अक़ीदा बातिल है.